जिंदगी प्यार का गीत
जिंदगी प्यार का गीत
जुलाई का पहला सप्ताह, चारों तरफ रिमझिम बरसातें, बादल, स्लेट और टीन की छतों पर पानी की बूंदों का मधुर संगीत, रोहन को हमेशा से भाता था।
सोलन की हसीन वादियों पर हर वर्ष इंद्र देवता की कृपा खूब बरसती थी। बरसातों में पहाड़ों का सौंदर्य किसी खूबसूरत शोड़सी सा और खिल उठता है। चारों तरफ बिखरी हरियांली, लहलहाते चीड़ देवदार के लंबे सीधे दरख़्त मानो सभी पहाड़ियों को धानी चुनरिया उढ़ा देते। उस पर अठखेलियां करते बादल, किसी शरारती बच्चे से इधर उधर घूमते, सूरज से आंख मिचौली खेलते नजर आते। कभी कभी तो ये उदंड लोगों के घर में भी तांका झांकी करने से बाज नही आते। किसी भी घर की खुली खिड़की से घुस आते और सबको अपने मीठे नर्म स्पर्श से आल्हादित किए बिना बाज न आते।
बरखा का आलम ये की अगर झड़ी लगने लगे तो हफ्तों रुकने का नाम ही ना ले। कभी टिप टिप तो कभी मूसलाधार फिर कुछ देर की शांति, बीच बीच में सूरज देवता प्रकट हो जाते और उनके आते ही जमीन पर गिरी बारिश एक बार फिर बादलों का रूप ले लेती और देखते ही देखते बादलों के झुंड के झुंड आसमान की ओर चल देते सूरज का घेराव करने और फिर से सावन की झड़ी शुरू हो जाती।
रोहन को ये सब देख कर बहुत अच्छा लगता। यूं भी पहाड़ों के लोग सरल और सीधे स्वभाव से हर अतिथि का स्वागत करते, फिर भला इंद्रदेवता तो जीवनदायनी वर्षा लेकर आते हैं। ये सोचते और नजारों का लुत्फ उठाते हुए रोहन अपनी शॉप की तरफ बढ़ता जा रहा था।
रोहन 26 वर्ष का बांका सजीला नौजवान है, उसने स्थानीय कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, पर दूसरे नौजवानों की तरह वो किसी की नौकरी नही करना चाहता था इसलिए उसने अपने पिता की सहायता से शहर के बस स्टैंड के पास ही अपनी खुद की एक दुकान खोल ली जिस में फोटोकॉपी, मोबाइल एसेसरीज, खिलोने और टॉफी चॉकलेट के अलावा स्टेशनरी का सामान भी मिलता है। रोहन के माता पिता सरकारी स्कूल के अध्यापक थे लिहाजा रोहन न केवल पढ़ाई में बहुत हमेशा अच्छा रहा अपितु संस्कारों से भी एक आदर्श पुत्र और एक जिम्मेदार नागरिक भी है। मृदु भाषी, सुशील और सौम्य रोहन किसी को भी पहली ही मुलाकात में अपना बना लेता।
आज वर्षा कुछ ज्यादा थी सुबह के 9 बज रहे थे पर अधिकांश दुकानें बंद ही थी, वैसे भी इस बारिश में ग्राहक तो कम ही आते पर फिर भी रोहन अपने स्वभाव की वजह से रोज सुबह 9 बजे तक अपनी दुकान खोल ही लेता। गर्मी सर्दी या बरसात।
उसने जल्दी से आगे बढ़ कर दुकान का ताला खोला और शटर उपर कर के चोखट पर सर नवा कर दुकान में प्रवेश किया। इष्ट देव के सामने धूप जलाने के बाद उसने दुकान को व्यवस्थित करना शुरू कर दिया।
बारिश की वजह से सड़क काफी खाली खाली थी, तभी उसका ध्यान थोड़ी दूर पर खड़ी एक युवती पर पड़ा। देखने से वो सोलन की नही लग रही थी, वरना बारिश के इस मौसम में कौन हल्के पीले रंग का सूट पहन कर बाहर निकलता है, चारों तरफ सड़क पर जगह जगह पानी भरा हुआ था और आते जाते वाहन जब गुजरते तो छींटें उड़ती। तेज बारिश, साथ में हवा बार बार उसकी उस जैसी ही नाजुक छतरी को उड़ाने की कोशिश करती।
वो कुछ पांच छै दुकान आगे निकले छज्जे की ओट में खड़ी शायद बस का इंतजार कर रही थी और साथ साथ खुद को भीगने से बचाने का प्रयास भी।
पर वायु देव और इंद्र देव दोनो ही शायद उससे मजाक करने के मूड में थे, बारिश की बौछार उसे भिगो रही थी और हवा उसके एकमात्र सहारे को छीनने की कोशिश।
तभी एक जोर का झोंका आया और उसकी छतरी हवा के जोर से उल्टी हो गई और पकड़ कमजोर होने की वजह से हाथ से छूट गई।
एक क्षण को वो हतप्रभ सी बारिश में भीगती रही, छतरी उड़ते उड़ते रोहन की दुकान के सामने आ गई। रोहन ने लपक कर उसे पकड़ लिया फिर उसे सीधा करके उस युवती को थमा दिया।
उसने हल्के से सर झुका कर रोहन का धन्यवाद किया, उसके शब्द इतने कोमल और इतने धीमे थे कि रोहन के कानो तक पहुंचने से पहले ही बारिश और हवा उन्हे साथ उड़ा ले गए।
इस से पहले रोहन कुछ और कहता, सामने से आती बस में वो सवार होकर आंखों से ओझल हो गई।
और रोहन वापस अपने दुकान के कामों में मशगूल, पर रह रह कर उस लड़की का बारिश में भीगा कोमल चेहरा उसे अपने आसपास महसूस हो रहा था।
रेडियो पर एक गाना बज रहा था..… एक लड़की भीगी भागी सी..... गाना सुन कर रोहन अनायास ही मुस्कुरा पड़ा।
आभार – नवीन पहल – ०८.१२.२०२१ ❤️🌹👍🙏🏻
# लेखनी कहानी प्रतियोगिता हेतु
Dipanshi singh
16-Dec-2021 04:59 PM
Nice
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Priyanka Rani
15-Dec-2021 09:40 PM
Nice
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Kaushalya Rani
14-Dec-2021 05:32 PM
Wow nice
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नवीन पहल भटनागर
14-Dec-2021 07:00 PM
Thanks
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